Thursday 28 September 2017

कही अशोक को ही रावण बनाकर पेश तो नही कर दिया गया, रावण के पास अशोक वाटिका....


रावण और अशोक का संबंध कही अशोक को ही रावण बना कर पेश तो नही कीया बचपन से एक प्रश्न मन में था कि लंका में बनी अशोक वाटिका में क्या कभी सम्राट अशोक रहते थे? या यह वाटिका अशोक ने बनवाई थी?सीता जिसमें रह रही थी उस वाटिका को हनुमान ने क्यों नष्ट कर दिया? खैर ये बच्चे के मन में उठे छोटे-छोटे बेकार प्रश्न हो सकते हैं. सोशल मीडिया पर एक प्रकरण पढ़ा जिसमें तार्किक दृष्टि से मुझे एक नई बात का पता चला. इसमें बड़ा प्रश्न निहित है कि ‘रामायण’ (जिसे इतिहास से भी पहले का अतिप्राचीन ग्रंथ कहा जाता है) पहले लिखी गई या इतिहास में लिखे बुद्ध पहले हुए. 

इस बारे में फेसबुक पर रामायण में से ही एक उद्धरण दिया है जो इस प्रकार है- यथा हि चोरः स तथा ही बुद्ध स्तथागतं नास्तीक मंत्र विद्धि तस्माद्धि यः शक्यतमः प्रजानाम् स नास्तीके नाभि मुखो बुद्धः स्यातम्। अयोध्याकांड सर्ग 110 श्लोक 34 अर्थात जैसे चोर दंडनीय होता है इसी प्रकार बुद्ध भी दंडनीय है. तथागत और नास्तिक (चार्वाक) को भी यहाँ इसी कोटि में समझना चाहिए. इसलिए नास्तिक को दंड दिलाया जा सके तो उसे चोर के समान ही दंड दिलाया जाय. परन्तु जो वश के बाहर हो उस नास्तिकसे ब्राह्मण कभी वार्तालाप न करे! (श्लोक 34, सर्ग 110, वाल्मीकि रामायण, अयोध्या कांड.)” इस श्लोक में बुद्ध-तथागत का उल्लेख होना हैरान करता है और इसके आधार पर मैं इस तर्क को अकाट्य मानता हूँ कि बुद्ध पहले हुए और रामायण की रचना बाद में की गई. 

इसी संदर्भ में फेसबुक पर क्षेत्रीय शक्यपुत्र की एक अन्य पोस्ट देखी जो इस कहानी को अन्य तरीके से कहती है. फिर भी इस बातका ध्यान रखना होगा कि पुरानी कथा-कहानियाँ कई तरीके से सुनी-सुनाई जाती रही हैं. अतः लिखी बात का अर्थ भी हर व्यक्ति को अलग तरीके से संप्रेषित होता है. (हालाँकि शक्य पुत्र की यह पोस्ट रामायण की कथा में खोज-खुदाई करती है और अशोक के संदर्भ में कुछ समानताओं और विसंगतियों को ढूँढ लाती है, लेकिन इस पोस्ट में अपनी भी कुछ विसंगतियाँ हो सकती हैं.) ब्लॉग की दृष्टि से इसका थोड़ा सा संपादन मैंने किया है. रावण के कार्यकाल में अशोक वाटिका कहाँ से आती है? कहीं साहित्यकारों ने चक्रवर्ती सम्राट अशोक को रावण के रूप में प्रदर्शित तो नहीं किया? 

क्योंकि, रावण की कुछ विशेषताएँ थीं जो कि सम्राट अशोक से मिलती जुलती हैं, महान विद्वान, वीर योद्धा, शूर सिपाही, बहुत बड़ा संत, अपने संबंधियों व प्रजा का दयालुता पूर्वक पालनकर्ता, शक्तिशाली पुरुष, वरदानी पुरुष, इतना ही नहीं बल्कि रावण एक बौद्ध राजा था ऐसा श्रीलंका स्थित कुछ विद्वान भिख्खुओंका कहना है. आज भी रावण को श्रीलंका में पूजनीय माना जाता है. श्रीलंका में रावण के विहारों में कुछ मूर्तियाँ और कुछ शिल्पकलाएँ पाई जाती हैं जिनमें रावण धम्म का प्रचार करते हुए स्पष्ट नजर आते हैं. इतिहास को एक बार देखा जाए तो श्रीलंका में बौद्ध धम्म को फैलाने वाले और कोई नहीं वे सम्राट अशोक ही थे. रावण ऋषियों से घृणा करते थे. क्यों? क्योंकि वे यज्ञ के नाम पर छल-कपट पूर्ण स्वधर्म नियमानुसार गूँगे पशुओं को आग में बलि दे कर हृदय विदारक अपराध करते थे. तो इसी से यह साफ होता है कि रामायण एक काल्पनिक एवं ब्राह्मणों द्वारा रची हुई नकली कथा है.

अगर रावण यज्ञ में चल रहे पशुओं की बलि सह नहीं सकते थे तो क्या वे जटायु नामक पशु को मार सकते हैं? रामायण में एक और कथा कही गयी है कि रावण ने सभी देवी-देवताओं को बंदी किया था. यह कथा भी सम्राट अशोक की कथा से मिलती जुलती है. क्योंकि सम्राट अशोक ने भी धम्म में घुसे हुए कुछ नकली लोगों को बंदी बनाकर उन्हें धम्म से हटा दिया था. अगर आप एक बार रामायण पढ़ें तो उसमें आपको दिखाई देगा कि इस नकली एवं काल्पनिक ग्रंथ के लेखक ने खुद रावण की प्रशंसा की है. वह लिखता है कि रावण एक सज्जन पुरुष था. वह सुंदर और उत्साही था. किंतु जब रावण ब्राह्मणों को यज्ञ करते हुए और सोमरस पीते हुए,, देखते थे तो उन्हें कड़ा दंड देते थे. 

इसलिए मुझे तो लगता है कि सम्राट अशोक का विद्रूपीकरण करके ही पाखंडियों ने रावण को ऐसा प्रदर्शित किया है. क्योंकि इतिहास तो यही कहता है कि धर्मांध लोगों द्वारा दशहरा माना जाता है. दशहरा का और दस पारमिता का कही कोई संबंध तो नहीं? 
क्योंकि इसी दिन सम्राट अशोक ने शस्त्र का त्याग कर बुद्ध का धम्म अपनाया था. जिसे आज हम धम्मचक्र प्रवर्तन दिन और अशोक विजयादशमी कहते हैं.
आइये आज कुछ अनछुएं पहलुओं पर ध्यान दें❗👇🏽👇🏽👇🏽

अशोक विजयादशमी का पर्व भारत के
महान चक्रवर्ती सम्राट अशोक के बौद्ध दीक्षा ग्रहण करने के उपलब्ध में मनाया जाता है.... ❗
👇🏽
1-सम्राट अशोक के राज्य में १००% जनता शिक्षित
थी❗
2-सम्राट अशोक के राज्य में मानव विकास में दुनिया १ नंबर था, यह नोबेल विजेता एवम भारतीय
अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन का संशोधन है❗
3-जिस देश में सोने की चिडिया उडती थी "वह
देश सम्राट अशोक कालीन था ❗रामायण नाम
का काल्पनिक काव्य में "अशोक वाटिका "का उल्लेख आता है, और रावण नाम का भी काल्पनिक
पात्र दुसरा -तीसरा कोई नही, वह
बृहदत्त (रावण)है, वह सम्राट अशोक की "सोने की लंका थी 
बृहदत्त (रावण ) की हत्या पुष्पमित्र शुंग (राम ) ने
कपटता पूर्वक की, इस काव्य में
"विभीषण "नाम का रावण का भाई बताया, आज
भी विभीषण को गाव में कहावत में
"दगाबाज" कहते है, यही दगाबाजी राम
(पुष्पमित्र )श्रुंगने विभीषण,हनुमान जैसे
बहुजन समाज के लोगो को हात में लेकर की गयी❗
आज भी आर.एस.एस.(राम/पुष्पमित्र
श्रुंग),बजरंग दल (हनुमान/आज के ओबीसी )का वापर
ब्राम्हणो की व्यवस्था निर्माण करने में
होती है❗
४) सम्राट अशोक ने 
(विजयादशमी) के दिन अपने शस्त्र रख दिये थे❗और
अपने हिंसा वृत्ती पर बुद्ध
का अहिंसा का मार्ग अपनाया, मानो बुद्ध धम्म
का पुनः प्रगटन किया❗
आज हमे ज्यो ब्राम्हण धर्म "दशहरारा " का उल्लेख
"अधर्म पर धर्म की विजय " कहता है❗
बल्कि "धर्म पर धम्म की विजय
" है, यही धम्म "सन्मार्ग" बहुजन समाज का हो सकता है तभी यह देश "सोने
की चिडिया " कहलेगा❗
 दशहरा (दश+हरा=दश को मारने वाला)
मौर्य राजाओँ का शासन काल 137 वर्ष चला❗
मौर्य राजाओँ की पीढ़ीवार सूची :-👇🏽

(01) चन्द्रगुप्त मौर्य❗
(02) बिन्दुसार मौर्य❗
(03) सम्राट अशोक❗
(04) कुणाल मौर्य❗
(05) दशरथ मौर्य❗
(06) संप्रति मौर्य❗
(07) शालीशुक्त❗
(08) देववर्मा मौर्य❗
(09) सत्यधनु मौर्य❗
(10) बृहदत्त मौर्य❗

यहाँ ध्यान देने की बात है कि-
पुष्यमित्र ब्राम्हण ने मौर्य के दसवेँ सम्राट की हत्या की थी,
इसलिए ब्राम्हणोँ ने इस दिन को खुशी का दिन घोषित कर दिया और
इसका नाम धम्म विजयदशमी से दशहरा रख दिया❗और हमारे ही समाज के बहुत से लोग अपने ही पूर्वज की हत्या होने 
पर शोक की जगह पर खुशी मनाते हैं❗सोचती हूं तो दुख होता है, कि आखिर हमारा मौर्यवंशी समाज कब जागेगा और अपने खोए हुए सम्राज्य को पुनः पाने के लिए अग्रसर होगा❗
यह रावण के सिर काटने की घटना नही है और न ही रावण के पास दस सिर ही थे❗
वैसे भी राजा रावण का देहान्त तुलसीकृत राम चरित
मानस के अनुसार चैत माह मेँ हुआ था अश्विन माह मेँ नहीं❗
यह तो मौर्यवंश के दसवेँ सम्राट बृहद्रथ को मारकर उसके दस पीढ़ियों के अस्तित्व को समाप्त
करने के कारण-
----------------दशहरा (दश+हरा=दश को मारने वाला)---------------------------
नाम प्रचारित किया गया और राम- रावण की कहानी थोपी गई और
उसे बुद्ध से भी पहले की घटना बता कर प्रचारित कर दिया गया

4 comments:

  1. बहुत ही बढ़िया जानकारी
    एक बात आप ध्यान दे चक्रवर्ती सम्राट अशोका सिर्फ मौर्याओ के राजा नही थे
    बल्कि वह भारतवर्ष के सभी मूलनिवासियो के राजा थे
    ऐसी महान हस्ती और महापुरुषो को एक जाति ने बाँध कर एक जाति तक सीमित न करे
    वह हम सभी के राजा और आदर्श थे
    जय अशोका नमो बुद्धाय

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  2. संस्कृत का कितना ज्ञान है। तुम सब उस भेड़ जैसा हो, जिसको कुछ नही पता है, लेकिन सामने वालो का पीछा करते हुए कुए में गिरते हो!

    कभी रामायण की पुस्तक से अर्थ पढ़ नही सकते हो, इसलिए अपने आप अर्थ लगाकर बुद्ध बन गए।

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  3. bsdk kuch ata pta h nii...bss gyan chodna h kuch b hutiye ko

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